सबकी एक दिन यही गति होगी।। Yahi Gati Hogi.
मैंने हर रोज जमाने को रंग बदलते देखा है।।
उम्र के साथ जिंदगी को ढंग बदलते देखा है।।
वो जो चलते थे तो शेर के चलने का गुमान होता था।।
उनको भी पाँव उठाने के लिए सहारे को तरसते देखा है।।
जिनकी नजरों की चमक देख सहम जाते थे लोग।।
उन नजरों को भी बरसात की तरह रोते देखा है।।
जिनके हाथों के जरा से इशारे से टूट जाते थे पत्थर।।
उन हाथों को भी पत्तों की तरह थर थर काँपते देखा है।।
जिनकी आवाज़ से कभी बिजली के कड़कने का भ्रम होता था।।
उन होठों पर भी जबरन चुप्पी का ताला लगा देखा है।।
ये जवानी! ये ताकत! ये दौलत! सब कुदरत की अमानत है।।
इनके रहते हुए भी इंसान को बेजान पड़ा हुआ देखा है।।
अपने आज पर इतना ना इतराना मेरे प्यारे दोस्त।।
वक्त की धारा में अच्छे अच्छों को भी मजबूर हुआ देखा है।।
कर सको तो प्यार से रह लो, किसी को खुश कर लो।।
दूसरों को दुःख देते तो हजारों को देखा है।।
।। नारायण सभी का कल्याण करें ।।
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जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम्।।
जय जय श्री राधे।।
जय श्रीमन्नारायण।।