होरी खेले रघुवीरा होरी खेले रघुवीरा अवध में।।

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Hori Khele Raghuveera
Hori Khele Raghuveera

होरी खेले रघुवीरा होरी खेले रघुवीरा अवध में।। Hori Khele Raghuveera.

मित्रों, आज होली का परम पवित्र त्यौहार है, आप सभी सनातनी बंधुओं को श्री त्रिदंडी देव सेवाश्रम संस्थान, सिलवासा एवं स्वामी धनञ्जय महाराज की ओर से होली की हार्दिक शुभकामनायें एवं अनंत-अनंत बधाईयाँ।।

आप सभी के जीवन में इस होली के बाद नई उमंग एवं नये उत्साह का संचार हो, तथा आपका उन्नति का मार्ग प्रशस्त हो। सपरिवार आपके जीवन में नई खुशियों का रंग घुले।।

ताल से ताल मिले मोरे बबुआ, बाजे ढोल मृदंग।।
मन से मन का मेल जो हो तो, रंग से मिल जाए रंग।।

होरी खेले रघुवीरा अवध में होरी खेले रघुवीरा।।
हाँ हिलमिल आवे लोग लुगाई,
भई महलन में भीरा अवध में,
होरी खेले रघुवीरा…

इनको शर्म नहीं आये देखे नाहीं अपनी उमरिया।
साठ बरस में इश्क लड़ाए,
मुखड़े पे रंग लगाए, बड़ा रंगीला सांवरिया।
चुनरी पे डाले अबीर अवध में,
होरी खेरे रघुवीरा…

हे अब के फाग मोसे खेलो न होरी।
(हाँ हाँ ना खेलत ना खेलत)
तोरी शपथ मैं उमरिया की थोरी।
(हाय हाय हाय चाचा)

देखे है ऊपर से झाँके नहीं अन्दर सजनिया।
उम्र चढ़ी है दिल तो जवान है।।
बाहों में भर के मुझे ज़रा झनका दे पैंजनिया।
साँची कहे है कबीरा अवध में।।
होरी खेले रघुवीरा…

।। नारायण सभी का कल्याण करें ।।

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जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम्।।

जय जय श्री राधे।।
जय श्रीमन्नारायण।।

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