इन बातों को ध्यान में रखने से परिवार और समाज में बदनामी नहीं होती है।। Is Prakar Name Kamayen.
जय श्रीमन्नारायण,
मित्रों, शास्त्र कहता है “माता शत्रु पिता वैरी येन बालो न पाठितः” अर्थात वो माता-पिता अपने संतान के शत्रु होते हैं जो उनका अच्छी तरह परवरिस के साथ उच्च शिक्षा नहीं देते ।। Is Prakar Name Kamayen
यदि कोई व्यक्ति संतान के पालन-पोषण में अनदेखी करता है तो स्वाभाविक है उनकी संतान बिगड़ जाती है । संतान संस्कारी नहीं है और गलत काम करती है तो इससे हर जगह अपमान ही होता है ।।
मित्रों, जब घर के बड़ों का बच्चों पर ध्यान नहीं होता है तो संतान असंस्कारी हो जाती है । अत: माता-पिता को संतान के अच्छे भविष्य के लिए उचित देखभाल करनी चाहिए ।। #Is_Prakar_Name_Kamayen
संतान को अच्छे संस्कार मिले इस बात का ध्यान रखना चाहिए । महाभारत में धृतराष्ट्र इस बात के श्रेष्ठ उदाहरण है कि संतान संस्कारी नहीं होती है तो पूरे परिवार का भी नाश हो जाता है ।।
दुर्योधन अधर्म के मार्ग पर चल रहा था, लेकिन धृतराष्ट्र ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया । परिणाम सामने है, कौरव वंश का नाश हुआ और धृतराष्ट्र को भी राजा होते हुये भी जीवन पर्यन्त अपमान झेलना पड़ा ।।
मित्रों, जो लोग अमीर तो होते हैं, लेकिन घर-परिवार की जरुरतों पर खर्च नहीं करते हैं । धन का लालच रखते हैं, उन्हें समाज में सम्मान प्राप्त नहीं हो पाता है ।।
धन को जरूरतों पर भी खर्च न करने या कंजूस होने पर धन की लालसा और अधिक बढ़ती है । इससे व्यक्ति और अधिक पैसा कमाने के लिए गलत काम कर सकता है ।।
लालच बुरी बला है, ये बात सभी जानते हैं । बड़ी-बड़ी मछलियां भी छोटे से मांस के टुकड़े के लालच में फंसकर अपने प्राण गवां देती है । इसी प्रकार इंसान भी धन के लोभ में फंसकर कई परेशानियों में पड़ जाता है ।। #Is Prakar Name Kamayen
मित्रों जो लोग अपनी आय से अधिक खर्च करते हैं, ऐसे लोगों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है । आय से अधिक खर्च उपर से आमदनी कम होने या धन अभाव होने पर भी शौक पूरे करना, मौज-मस्ती करना, फिजूलखर्च करना पूरे परिवार को संकट में फंसा देता है ।।
इसके बदले अपमान ही मिलता है । दान करना चाहिए, क्योंकि “दान किये धन ना घटे” लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि बहुत अधिक मात्रा में या अपनी आय से अधिक दान भी नहीं करना चाहिए ।।
अच्छी या बुरी संगति का असर हमारे जीवन पर होता है । यदि हमारी संगत गलत लोगों के साथ है तो कुछ समय तो सुख की अनुभूति होगी, लेकिन परिणाम बहुत बुरा होता है ।। #Is_Prakar_Name_Kamayen
बुरी संगत से बचना चाहिए, इस बात के कई उदाहरण है । जहां दुष्टों की संगत में लोग बर्बाद हुए हैं । जैसे दुर्योधन के साथ कर्ण, रावण के साथ कुंभकर्ण और मेघनाद श्रेष्ठ उदाहरण है । हमें दुष्ट लोगों का साथ छोड़ देना चाहिए ।।
मित्रों, जो लोग स्वयं के स्वार्थ को पूरा करने के लिए दूसरों का अहित करते हैं, ऐसे लोग इस कर्म के भयंकर फल भोगते ही हैं । इस काम से व्यक्ति के साथ ही परिवार को भी नुकसान और अपमान का सामना करना पड़ता है ।।
कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन अंत में वह स्वयं ही मृत्यु को प्राप्त हुआ । शास्त्रानुसार जो व्यक्ति जैसा करेगा, उसे वैसा ही फल प्राप्त होगा ।।
“अवश्यमेव भुक्तब्यं कृतं कर्म शुभाशुभं” अर्थात हम अच्छे काम करेंगे तो अच्छा फल मिलेगा और बुरे काम करेंगे तो बुरा । आज का शुभ कर्म कल का सौभाग्य और आज का दु:ष्कर्म कल का दुर्भाग्य निर्मित करता है ।।