जिंदगी कभी निराश होना नहीं सिखाती।।

0
823
Jivan Nirasha Nahi Sikhati
Jivan Nirasha Nahi Sikhati

जिंदगी कभी निराश होना नहीं सिखाती।। Jivan Nirasha Nahi Sikhati.

जय श्रीमन्नारायण,

मित्रों, हमें निराशा के क्षणों को कभी भी अपने जीवन पर हावी नहीं होने देना चाहिये। बल्कि जीवन के हताशा भरे क्षणों से कुछ सीखने का प्रयास करना चाहिये। इन लम्हों से उबरकर आगे बढ़ना और खुद को बेहतर बनाने की कोशिश ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए।।

चाहे कामकाजी जीवन हो, व्यक्तिगत संबंध या फिर स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां। इन सभी कारणों से हमारे जीवन में निराशा के क्षण आते हैं। कुछ ऐसे क्षण जब हम अपनी शक्ति और सामर्थ्य को कम महसूस करने लगते हैं। खुद को असमर्थ और असहाय पाते हैं।।

तब लगने लगता है, कि हम जीवन को आगे ले जाने में खुद को सामर्थ्यवान नहीं पा रहे हैं। निराशा के ऐसे क्षण हमें अवसाद और दुख भी देते हैं। लेकिन निराशा को जीवन पर हावी होने दिया जाए तो जीवन की स्वाभाविक गति प्रभावित होने लगती है। इसलिए उन पलों से बाहर आने का अर्थ ही जीवन है।।

कई बार पूर्व की दुर्घटनाएं हमारे मन को अपने कब्जे में कर लेती हैं। और हम खुद को उनसे मुक्त कर पाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। आगे बढ़ने की राह में वे सबसे बड़ी बाधा बन जाते हैं। हार, असफलता और तकलीफों से उपजी निराशा को पीछे छोड़कर ही जीवन को अच्छे से जिया जा सकता है। अपनी निराशाओं से उबरने के लिए कुछ छोटे प्रयास कारगर सिद्ध हो सकते हैं।।

जैसे अपनी अपेक्षाओं को कम रखें।। Keep your expectations low.

मित्रों, इस बात का स्मरण रहे, कि हमेशा ही जीवन में जीत नहीं मिलती है। हर उम्मीदवार को नौकरी नहीं मिल पाती है। हर काम हमारे अपने पक्ष में नहीं हो पाता है। जीवन तो उतार चढ़ाव का नाम है। यहां हर तरह की स्थिति बनती है और आनंद भी इसी में है।।

इसलिए हर स्थिति में सहज रहना जरूरी है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि आप अपने लिए ऊंचे लक्ष्य तय ही न करें। अपने लक्ष्य ऊंचे रखें, लेकिन उन लक्ष्यों के पूरा न होने पर भी जीवन को रुकने न दें। किसी ने लिखा है, जब मैं उन चीजों को देखता हूं, जिन्हें पाने के लिए मैंने कडी मेहनत की तो वे सारी चीजें बहुत अर्थहीन नजर आती हैं।।

कहते हैं, कि मुझे ऐसा लगता है, मानो मैं हवा का पीछा कर रहा था। इसलिए अपनी अपेक्षाओं का एक संतुलन बनाना जरूरी है। उनके लिए प्रयास हो लेकिन प्रयास सफल न होने पर निराशा घर न करे। अपने मन का हो तो अच्छा और न हो तो और भी अच्छा के भाव से अपनी अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करें।।

हार से सीखने का प्रयास करें।। Try to learn by losing.

मित्रों, कई बार हमारी असफलता और हार भी हमें बहुत कुछ सीखने का मौका देती है। जब भी हम हारते हैं या निराश होते हैं तब हम धैर्य रखना सीखते हैं। हम सफलता के लिए अधिक उद्यत होते हैं। जब भी हार होती है तो उसे इस तरह ही देखें, कि आपके प्रयास सफलता के लिए पर्याप्त नहीं थे और आपको सफलता के लिए और तैयारी की जरूरत है।।

निराशा में ही आशा छिपी होती है। क्रिकेट के मैच में एक टीम हारती है। लेकिन अगले मैच में वह इस हार को भुलाकर जीतने की कोशिश करती है। ऐसे ही पर्वतारोही हैं जिन्हें पर्वत ने कई बार हराया। लेकिन उन्होंने जीत के लिए साहस नहीं हारा और अंतत: पर्वत उनकी इच्छाशक्ति के आगे झुका।।

तो अपनी हार में उन कारणों को ढूंढने का प्रयास होना चाहिए। जिनसे आप सफलता से दूर रहे और उन्हें सुधारने का प्रयास ही आपको विजेता बनाता है। जब आप एक एक करके अपनी कमजोरियों पर काम करते हैं तो आप खुद को विपरीत परिस्थितियों के भी योग्य बना लेते हैं।।

ऐसी स्थिति में मित्रों की लें मदद।। Seek help from friends in such situation.

जब भी जीवन में हताशा से सामना हो तो अपने मित्रों के साथ समय बिताएं। ऐसे समय में जबकि आप हताशा महूसस कर रहे हों तब खुद को दुनिया से अलग-थलग न करें। क्योंकि इस तरह आप अपने ही विचारों में कैद हो जाते हैं। मित्र उन खिड़कियों की तरह होते हैं जिनसे जीवन में ताजी हवा आती है।।

चाहे कितनी भी विकट परिस्थिति क्यों न हो एक अच्छा मित्र आपको गहन निराशा के क्षणों से उबारने का काम करता है। अक्सर हम परिवार के साथ बहुत सी बातें साझा नहीं कर पाते हैं। क्योंकि उम्र और समझ का अंतर बीच में होता है। लेकिन हमारे मित्र हमारी मनोस्थिति और हमारे बर्ताव को बेहतर तरीके से समझते हैं।।

वे हमारी जरूरतों से परिचित होते हैं। और इसलिए उनके सामने अपनी पीड़ा कहने में किसी तरह की झिझक नहीं होना चाहिए। वे ठीक-ठीक समाधान तलाशने में हमारी मदद करते हैं। एक अच्छा दोस्त विकट परिस्थितियों में भी हमारा सबसे बेहतर मार्गदर्शक होता है।।

अपनी सर्वाधिक प्रिय वस्तुओं से जुड़ें।। Connect with your favorite items.

जब भी आप कमजोर क्षणों से गुजरें तो उन चीजों से जुड़ें जो आपको खुशी देती हों। आपका आनंद चाहे जो भी हो उसमें डूबने की कोशिश करें। जब आप अपने आनंद के क्षेत्र में डूबेंगे तो शायद अवश्य ही निराशा से उबर जाएंगे। निराशा हम इसलिए महसूस करते हैं, कि हमें जीवन का कोई अर्थ नजर नहीं आता है।।

लेकिन जब हम अपनी रूचि की चीजों को देखते हैं तो जीवन के प्रति आशा बंधती है। कोई अच्छी पुस्तक, कविता, संगीत, फिल्म या मनबहलाव का कोई भी अन्य माध्यम जो हमारा ध्यान निराशा के उन क्षणों से कहीं और ले जाता हो। वह ऐसे समय में हमारा आश्रय बन सकता है और हमें राहत दे सकता है।।

भूत ना भविष्य केवल वर्तमान में जियें।। only learn to live in present.

मित्रों, जब भी हम बीती चीजों के बारे में ज्यादा सोचते हैं तो मन में एक अजीब सी उदासी घर कर ही जाती है। इसी तरह भविष्य के बारे में सोचते हुए भी हम आशंकित और डरे हुए रहते हैं। इनका असर हमारे वर्तमान को खराब करता है। अगर हम आज में ही जिएं और आज हम क्या अच्छा कर सकते हैं उस विचार के साथ आगे बढ़ें तो शायद जीवन में निराशा के लिए कोई जगह ही नहीं होगी।।

हम जो नहीं कर पाए उसके लिए उदास क्यों होना? हम आज जो कर सकते हैं उस पर बीते दिनों का असर आखिर क्यों आने देना चाहिए? बीती बातों को भुलाकर अगर आज में ही अपनी उर्जा लगाई जाए तो बेहतर नतीजे हमें आगे बढ़ने को ही प्रेरित करेंगे। कल में अटके रहकर हम अपने आज को भी प्रभावित करते हैं और आने वाले कल को भी।।

सभी को प्रसन्न करना असंभव।। Impossible to please everyone.

जब आप अपने आसपास मौजूद सभी लोगों को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं तो इस तरह के लक्ष्य को कभी प्राप्त नहीं कर पायेंगे। ऐसे में निराशा आपको घेर ले यह बहुत संभव है। इस तरह की स्थिति से उपजने वाली निराशा से खुद को बचाना हो तो आपको अपनी प्रसन्नता के लिए काम करना चाहिए। अपनी प्राथमिकताएं तय करना बहुत जरूरी है। याद रहे जरूरत से ज्यादा वादे भी हमें हताशा की स्थिति में डाल सकते हैं।।

किसी की मदद कीजिए।। Help someone.

जब आप खिन्न या हताश महसूस कर रहे हों तो अपने आसपास किसी की मदद करने का कोई अवसर तलाशिए। दूसरों के साथ जुड़े रहिये। दूसरों की प्रसन्नता के लिए छोटा काम हाथ में लीजिए। आपको अपना जीवन अर्थवान नजर आने लगेगा।।

जीवन मूल्यवान लगने लगेगा। हम अक्सर ढर्रे पर चलते हुए भी जीवन का मूल्यांकन करने में असमर्थ हो जाते हैं। हमें लगता है, कि जीवन उतनी ही दूर तक है जितना हम देख पा रहे हैं। लेकिन जीवन उससे भी आगे है, वहां भी जहां हम नहीं देख पा रहे।।

आप सभी अपने मित्रों को फेसबुक पेज को लाइक करने और संत्संग से उनके विचारों को धर्म के प्रति श्रद्धावान बनाने का प्रयत्न अवश्य करें।।

नारायण सभी का नित्य कल्याण करें । सभी सदा खुश एवं प्रशन्न रहें ।।

जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम्।।

।। नमों नारायण ।।

Previous articleपराई वस्तुओं का लोभ नहीं करना चाहिये।।
Next articleवरुथिनी एकादशी व्रत कथा एवं विधि।।
भागवत प्रवक्ता- स्वामी धनञ्जय जी महाराज "श्रीवैष्णव" परम्परा को परम्परागत और निःस्वार्थ भाव से निरन्तर विस्तारित करने में लगे हैं। श्रीवेंकटेश स्वामी मन्दिर, दादरा एवं नगर हवेली (यूनियन टेरेटरी) सिलवासा में स्थायी रूप से रहते हैं। वैष्णव धर्म के विस्तारार्थ "स्वामी धनञ्जय प्रपन्न रामानुज वैष्णव दास" के श्रीमुख से श्रीमद्भागवत जी की कथा का श्रवण करने हेतु संपर्क कर सकते हैं।।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here