राधा नाम की महिमा ।। Radha Nam Ki Mahima.
जय श्रीमन्नारायण,
मित्रों, एक संत जब किसी नगर में आए तो उनके पास एक व्यक्ति आया और बोला- स्वामी जी! मेरा बेटा न तो भगवान को मानता है, न ही पूजा-पाठ करता है। गुरूजी ! कृपया आप उसे भगवान के नाम की महिमा बतायें। गुरुजी ने कहा – ठीक है! मैं तुम्हारे घर आऊँगा। एक दिन महाराज जी उसके घर पधारे।।
मित्रों, गुरूजी उस बच्चे को समझाने लगे! बोले – बेटा! एक बार बोलो श्री राधे। लड़का आदत के अनुसार बोला – मै क्यों कहूँ? स्वामी जी बार-बार कहते रहे आखिरकार एक बार उसने कह दिया कि मैं “राधा” क्यों कहूँ? स्वामी जी प्रसन्न हो गए और उन्होंने कहा- जब तुम मरकर यमराज के पास जाओ तो उनसे पूंछना कि एक बार राधा नाम लेने की क्या महिमा है?
मित्रों, स्वामी जी तो इतना कहकर चले गए! समय आने पर वह लड़का मर कर यमराज के पास पहुंचा और पूछा – मेरे कर्मो का हिसाब करने से पहले आप मुझे यह बतायें कि एक बार राधा नाम लेने की क्या महिमा है? यमराज ने कहा – मुझे नहीं पता राधा नाम की महिमा। शायद इन्द्रदेव को पता होगा, चलो उनसे ही पूछते हैं। जब उस लड़के ने देखा कि यमराज अपनी अज्ञानता के कारण कुछ संकोच में पड़े हैं तो उसे गर्व हुआ कि मैंने राधा नाम लिया था।।
मित्रों, हार कर यमराज पालकी में लग गए और इंद्र के पास गए। इंद्र ने पूछा – यमराज जी कोई खास पुण्यात्मा है क्या जो इसको आपने पालकी में उठा रखा है? यमराज ने कहा – ये पृथ्वी से आया है और एक बार राधा नाम लेने की महिमा क्या है जानना चाहता है? मैं हारकर पालकी में लगा हूँ! अब आप यदि बतायेंगे तो मुक्त हो जाऊंगा।।
इंद्र ने कहा – महिमा तो बहुत है, पर पूरा सत्य मुझे भी नहीं पता! यह तो ब्रह्मा जी ही बता सकते है। लडके ने सोंचा अच्छा तो देवराज को भी नहीं पता! झट बोला आप भी पालकी में लग जाइए। अब उसकी पालकी में एक ओर यमराज दूसरी ओर इंद्र लगे और ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। ब्रह्मा जी ने सोचा- यह कोई महान पुण्यात्मा है, जिसे यम और इंद्र ने पालकी में उठा रखा है।।
ब्रह्मा जी ने पूछा – ये कौन संत है? यमराज ने कहा – यह पृथ्वी से आया है और एक बार “राधा” नाम लेने की क्या महिमा है – पूछ रहा है। ब्रह्मदेव! हम दोनों को ये पता नहीं है, इसलिए इसे शर्त के अनुसार पालकी में बिठाकर ढो रहे हैं। आप तो परम ज्ञानी हैं, सो उत्तर देकर हमें मुक्त कराइए।।
ब्रह्मा जी ने कहा- ये पृथ्वी से आया है और एक बार राधा-नाम लेने की महिमा पूछ रहा है। हमें तो पता नहीं, आप को तो जरुर पता होगा, आप तो समाधि में सदा उनका ही ध्यान करते हैं। शंकर जी ने कहा – हाँ, पर ठीक प्रकार से तो मुझे भी ज्ञात नहीं है। शायद भगवान विष्णु ही सही रूप में बता सकते हैं। तब उस व्यक्ति ने कहा – अच्छी बात है।।
प्रभु जी अब आप भी चौथी जगह लग जायें और ले चलें भगवान श्री विष्णु जी के पास। भगवान भोलेनाथ भी पालकी में लग गए और अब चारों देव भगवान श्री विष्णु जी के पास गए। सबने वही बात पूछा कि एक बार “राधा-नाम” लेने की क्या महिमा है? भगवान ने कहा- राधा नाम की महिमा ये है कि “राधा नाम” लेनेवाले की पालकी भी आप जैसे देव और देवधिदेव उठाकर चल रहे हैं।।
मित्रों, स्वयं भगवान नारायण ने कहा कि अब यह मेरी गोद में बैठने का अधिकारी हो गया है। इसीलिए सन्तजन कहते हैं, कि राधे राधे बोलो चले आएंगे बिहारी।।
जय श्रीमन्नारायण ।।
Ye Katha kalpanik hai, sach nai hai. Is bacche me na toh bhakti hai na vishwas fir bhi ye tar gaya ye asambhav hai, bina bhakti vishwas k koi nai tar sakta. Aise toh Bollywook k neech producers, directors, actors hazar baar majak karte hue Radha ka naam lete hai, toh kya sab Golok jane wale hai? Ye kalpanik kahani post karne wala jawab de. Yedi Dharm ko janna hai toh Sri Ramakrishna, Sri Sharadama aur Swami Vivekanand se sikhiye. Bina bhaav, bhakti aur vishwas k yedi bhagwan ka naam lia jaye toh kuch nai hone wala. Ab koi kahega Ajamil toh bina bhaav k Narayan Narayan bola toh kaise tar gaya? Kya aap bhul gaye ki Ajamil ne purva janam me kitni tapasya ki thi, kewal ek shraap k karan Ajamil bana tha. Us shraap ka prabhav Narayan naam lete khatam ho gaya par uska tar jana purva janam ki kathor tapasya ka fal tha.