जाती प्रमाण के विषय में।। Aapki Jati Kya Hai.
जय श्रीमन्नारायण,
Sansthanam – Sanchalak – Bhagwat Pravakta – Swami Dhananjay Maharaj.
न जारजातस्य ललाटशृंगं कुल प्रसूतेर्न च भालचन्द्र:।।
यदा यदा मुंचति वाक्यजालं तदा तदा जतिकुलप्रमाणं।। (महाभारत)
अर्थात:- जो नीच कुल का है, उसके मस्तक पर सिंग नहीं है। और जो उच्च कुल का है, उसके मस्तक पर चन्द्रमा नहीं है। उच्च तथा नीच कुल का प्रमाण व्यक्ति की वाणी ही है। जैसे-जैसे मनुष्य की वाणी गिरती जाती है, वैसा-वैसा ही जतिकुल का प्रमाण जानना चाहिए।।
आचारो विनयो विद्या प्रतिष्ठा तीर्थदर्शनम्।
निष्ठा वृत्तिस्तपो दानं नवधा कुललक्षणम्।। (कुलदीपिका)
अर्थात:- १.आचार, २.विनय, ३.विद्या, ४.प्रतिष्ठा, ५.तीर्थदर्शन, ६.धर्मकर्म में प्रीति, ७.उत्तमवृत्ति, ८.तप (धर्मानुष्ठान), ९.दान, ये नव लक्षण उत्तम कुल का, कुलदीपिका में लिखा है।।
किं कुलेन विशालेन विद्याहीनेन देहिनाम्।।
दुष्कुलं चापि विदुषो देवैरपि सुपूज्यते।।४२।। (कुलदीपिका)
अर्थात:- कितने हि विशाल अथवा बडा कुल क्यों न हो, विद्या (अर्थात सा विद्या या विमुच्यते, विद्या वही है, जो सद्ज्ञान अथवा सन्मार्ग दिखाए, क्योंकि मुक्ति इसी से संभव है) से हीन व्यक्ति का कोई आस्तित्व नहीं है। और कितना ही निम्न कुल क्यों न हो, विद्वान् है, तो उसकी देवता भी बड़े शौक से पूजा करते हैं।।
मैं, सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ, की हमारे देश में जातियां थी, लेकिन जातीयता नाम की कोई वस्तु न शुरू से था, और ना ही कभी भी रहा है। आज कुछ विकृत मानसिकता के लोगों द्वारा जिस धर्म का प्रचार हुआ है, असल में हमारे धर्म का स्वरूप वो नहीं है।।
और आज जिस ज्ञान की चर्चा लोग करते हैं, वो असल में कोई ज्ञान वैसा नहीं होता। ज्ञान बहुत ही सीधा शब्द है, और वो है, जानना – जानना ही ज्ञान है। माँ-बाप की सेवा करनी चाहिए, ये ज्ञान है। धर्म का आचरण करना चाहिए, ये ज्ञान है। और यही ज्ञान मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करती है।।
आप सभी अपने मित्रों को फेसबुक पेज को लाइक करने और संत्संग से उनके विचारों को धर्म के प्रति श्रद्धावान बनाने का प्रयत्न अवश्य करें।।
नारायण सभी का नित्य कल्याण करें । सभी सदा खुश एवं प्रशन्न रहें ।।
जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम्।।
।। नमों नारायण ।।





































