सारी उम्र बस एक मुलाकात में ही गुजार लूँ।।

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Sari Umra Bas Ek Mulakat Me
Sari Umra Bas Ek Mulakat Me

सारी उम्र बस एक मुलाकात में ही गुजार लूँ।। Sari Umra Bas Ek Mulakat Me Hi Gujar Lun.

जय श्रीमन्नारायण,

         प्यारे कन्हैया, प्यारे कान्हा जी!

              मैं तुम्हें इतने प्यार से बुलाता हूँ, कभी भूलकर ही सही “आ भी जाओ प्यारे”।।

प्यारे! तेरी नीली आँखों का मैं काजल बन जाऊं।
तेरी आँखों का मैं चमकता हुआ बादल बन जाऊं।।
ख्वाहिश तो सिर्फ इतनी सी है, प्यारे! कि हर पल..
मैं तेरे रस्ते के काँटों का चादर बन जाऊं।।

रूठी जो जिदंगी तो मना लेंगे हम।
मिल जाय गर गम तो भी हंसकर सह लेंगे हम।।
बस आप रहना हमेशा साथ हमारे तो,
बहते हुए आंसुओं में भी मुस्कुरा लेंगे हम।।

Sari Umra Bas Ek Mulakat Me

प्यारे! अगर हो वक़्त तो कभी मुलाकात कीजिये।
दिल कुछ कहना चाहे तो कुछ बात कीजिये।।
यूँ तो मुश्किल है आपसे दूर रहना प्यारे।
पर एक लम्हा मिले तो हमें भी याद कीजिये।।

तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ।
ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ।।
मुलाकात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी।
कि सारी उम्र बस एक मुलाकात में ही गुजार लूँ।।

दिन भर भटकते रहते हैं अरमान तुझसे मिलने के।
न ये दिल ठहरता है न तेरा इंतज़ार रुकता है।।
न प्रतिष्ठा की भूख है मुझे, न दौलत की प्यास बाकी है।
मिलता रहे तेरा प्यार यूँ हीं तो बश बाकी सब चलता है।।

Sari Umra Bas Ek Mulakat Me


कभी तो आ भी जाओ प्रियतम ! क्योंकि प्यारे ! आपके बिना हमारा कोई आस्तित्व ही नहीं बचता ।।

जय जय श्री राधे ।।

जय श्रीमन्नारायण ।।
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भागवत प्रवक्ता- स्वामी धनञ्जय जी महाराज "श्रीवैष्णव" परम्परा को परम्परागत और निःस्वार्थ भाव से निरन्तर विस्तारित करने में लगे हैं। श्रीवेंकटेश स्वामी मन्दिर, दादरा एवं नगर हवेली (यूनियन टेरेटरी) सिलवासा में स्थायी रूप से रहते हैं। वैष्णव धर्म के विस्तारार्थ "स्वामी धनञ्जय प्रपन्न रामानुज वैष्णव दास" के श्रीमुख से श्रीमद्भागवत जी की कथा का श्रवण करने हेतु संपर्क कर सकते हैं।।

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