Chanakya Neeti
चाणक्यनीति :--
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"कान्तावियोगः स्वजनापमानो रणस्य शेषः कुनृपस्य सेवा।
दरिद्रभावो विषमा सभा च विनाग्निमेते प्रवहन्ति कायम्।।"
(चाणक्यनीति--2.14)
अर्थः---युद्ध से बचा शत्रु , स्त्री का विरह, अपने जनों का अनादर,...